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श्रेया (बदला हुआ नाम) और मैं, हम दोनों आज से दो साल पहले किसी लोकल मीडिया हाउस में काम करते थे. पहली बार जब वो इंटरव्यू देने ऑफिस आई. तो मैं उसके बराबर में ही बैठी हुई थी. यूं तो मुझे पहली नजर में अधिकतर लोग सकारात्मक रूप से प्रभावित नहीं करते. लेकिन श्रेया से पहली बार हैलो कहते ही एक अपनापन महसूस हुआ, बस वही से हम अच्छे दोस्त बन गए. लगभग दो महीने तक हमने साथ काम किया क्योंकि हम काफी गहरे दोस्त थे. तो हर तरह की बात हमारे बीच शेयर होती थी. उस ही दौरान मुझे उसने अपने चार साल से चल रहे अफेयर अभिराज के बारे में बताया और दोनों ने अंत में एक दूसरे के साथ शादी जैसे बंधन में बंधने की बात भी कही. लेकिन इस ही बीच अचानक श्रेया गायब हो गई. लगातार एक हफ्ते तक उसका फोन बंद जा रहा था. मैं काफी परेशान थी, उसके आसपास के दोस्तों से पता करने की कोशिश की तो कुछ मालूम नहीं हुआ. अभी मैं उसके किराए वाले घर में जाने का मन बना ही रही थी कि देर शाम को उसकी कॉल आई और वो सिसकती हुई बोली कि अभि ने मुझे धोखा दे दिया.लगभग एक घंटे तक चली बात में उसने मुझे उस लड़के के कायरपन और नीचता की पूरी दास्तां सुनाई. जहां एक तरफ श्रेया उस इंसान के लिए अपने घर वालों के सामने जिद्द रखे बैठी थी और उसने एड़ी तक का जोर लगा दिया था, वही उस कायर ने अपनी झूठी प्रतिष्ठा के चलते किसी ओर लड़की से शादी के लिए हां कर, दो महीने के भीतर शादी की ली. शायद अब आप लोग सोच रहे होंगे कि अभिराज की कास्ट श्रेया जैसी नहीं या फिर सामाजिक तानाबाना उन दोनों के अनुरूप नहीं था. जबकि ऐसा नहीं था, दोनों ही जाति व धर्म जैसी हर तरह की कसौटी में कुदरती खरे थे. लेकिन एक बार फिर पुरूषों को प्रधानता देने वाला समाज अभिराज की सोच पर इस कदर हावी हुआ कि उसने श्रेया के पिता को अपने आगे झुकने की बात कहीं. बस फिर क्या था, श्रेया के पिता अपने फैसले पर अडिग रहें और अभिराज अपनी झूठी ऐंठ में दूसरी लड़की से विवाह कर बस गया. आज दोनों अलग अलग विवाहित जीवन व्यतीत कर रहे है. लेकिन अभिराज की शादी के एक साल बाद अब वो श्रेया को एक्ट्रा मरीटियल अफेयर के लिए फोर्स कर रहा है. इस तरह के घटिया पुरूषों को आपकी परिभाषा क्या कहती है? जो इतने स्वार्थी है, कि अपने स्वार्थ की सिद्धी के लिए किसी की जिंदगी तक बरबाद करने से नहीं कतराते है. आज श्रेया अब तक अपने गुजरे वक्त से मिले घरवालों के सामने बेइज्जत होने के दाग से उभर नहीं पाई. बजाय माफी मांगने के, अभिराज जैसा ओछा आदमी खुद को समाज के नीचे दबा कुचला बता कर अब दोबारा रिश्ता बनाने की डिमांड कर रहा है. क्या अभिराज जैसे लोगों की आत्मा नहीं है? या उन्हें अपने किए पर शर्म महसूस नहीं होती? क्यों इस तरह के लोग लड़कियों को इंसान नहीं बल्कि सामान समझते है. जिन्हें वो अपने आराम के तहत अपनी जिदंगी में लाते और छोड़ देते है.
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